वो भारतीय बल्लेबाज जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में जड़े बैक टू बैक शतक
किसी भी खिलाड़ी के लिए टेस्ट क्रिकेट में लगतार अच्छा खेलना बेहद महत्वपूर्ण है। पांच-दिवसीय होने वाले टेस्ट क्रिकेट में शतक बनाना मैदान पर लगातार घंटों मेहनत करने और पूरे समय एकाग्रता को बरकरार रखने का परिणाम है। इसलिए, किसी क्रिकेटर के लिए लगातार टेस्ट शतक बनाना बहुत अधिक कठिन भी होता है।
हालांकि, कुछ ऐसे भी खिलाड़ी है, जिन्होंने बैक-टू-बैक इंस्टेंट पर इस कठिन कार्य को आसान बनाया है और फैन्स के दिलों पर राज किया है। आज के इस लेख में, हम उन भारतीय खिलाड़ियों पर नज़र डालेंगे जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में बैक टू बैक शतक बनाए हैं।
6.) विराट कोहली:
कोलकाता में विराट ने वर्ष 2017 में श्रीलंका बनाम भारत मैच के दौरान तीसरी पारी में 103 रनों की नाबाद पारी खेली इसके साथ ही नागपुर में बनाम श्रीलंका मैच में दूसरी पारी के दौरान 213 रनों की शानदार पारी खेली थी और लगातार तीसरी बार वर्ष 2017 में ही श्रीलंका के तीसरे मैच के दौरान दिल्ली में पहली पारी में 243 रनों की शानदार बल्लेबाजी की थी।
ये वर्तमान में भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली हैं। इन्होंने टेस्ट क्रिकेट में लगातार सबसे अधिक शतक बनाने वाले भारतीय खिलाड़ियों की सूची में हाल ही में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई हैं।
वर्ष 2017 में जब श्रीलंका ने भारत का दौरा किया तो विराट ने तीनों मैचों में लगातार एक के बाद एक शतक बनाए। कुल मिलाकर उस पूरी श्रृंखला में रन स्कोरर ने 152.20 की औसत से 610 रन बनाए। विराट के बेहतरीन बल्लेबाजी की वजह से भारत ने वो सीरीज 1-0 से जीती थी।
5.) विनोद कांबली:
विनोद कांबली ने मुंबई में वर्ष 1993 में इंग्लैंड के खिलाफ मैच के दूसरी पारी में 224 रनों की धुंआधार बल्लेबाजी की थी। लगातार दूसरे मैच मे पहली पारी के दौरान ही जिम्बाब्वे के खिलाफ बल्लेबाजी करते हुए 227 रन अपने खाते में जोड़े थे। इसी तरह कोलंबो में श्रीलंका के खिलाफ पहली पारी में 125 रनों की की पारी खेली थी।
जुलाई 1993 में विनोद कांबली ने अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की और ऐसा कहा जाता है कि उनकी ये शुरुआत बहुत अच्छी थी। लेकिन कांबली बहुत ज्यादा समय तक चल नही पाए। अपने पहले सात टेस्ट मैचों में ही अपना आकर्षक खेल दिखाते हुए कांबली ने दो दोहरे शतक और दो शतक लगाए।
वर्ष 1993 में इन्होंने डेब्यू किया और एक साल के अंदर-अंदर लगातार तीन शतक जड़ दिए। हालांकि अनुशासन हीनता और तकनीकी समस्याओ की वजह से कांबली बहुत ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाए। मुंबई के इस धुरंधर खिलाड़ी ने 24 साल की उम्र से पहले ही अपना आखिरी टेस्ट मैच खेला था।
4) सुनील गावस्कर:
सुनील गावस्कर ने ब्रिजटाउन में वेस्टइंडीज के खिलाफ वर्ष 1971 में चौथी पारी के दौरान नाबाद 117 रनों की पारी खेली। इसी के साथ लगातार मैंचों में पोर्ट ऑफ स्पेन में वेस्टइंडीज के खिलाफ ही पहली पारी में 124 रनों की बेहतरीन पारी खेली और तीसरे मैच में उसी मैदान पर वेस्टइंडीज के खिलाफ ही तीसरी पारी के दौरान बैक टू बैक 220 रनों की पारी खेलकर लगातार 3 शतक जड़ें।
वेस्टइंडीज दौरे की तरह ही पाकिस्तान के कराची में पाकिस्तान के खिलाफ गावस्कर ने दुबारा इतिहास रचा था। वर्ष 1978 में इन्होंने पहली पारी में ही 111 रन अपने खाते में जोड़े और पाकिस्तान के बॉलरो के छक्के छुड़ाए। उसी टूर्नामेंट में लगातार दूसरी मैच में तीसरी पारी के दौरान 137 रनों की बेहतरीन बल्लेबाजी की और मुम्बई के मैदान में पाकिस्तान के खिलाफ ही पहली पारी के दौरान 205 रनों की धुंआधार बल्लेबाजी करते हुए लगातार तीन शतक पाकिस्तान के खिलाफ जड़े।
टेस्ट क्रिकेट में 10,000 से अधिक रन बनाने वाले पहले भारतीय क्रिकेटर सुनील गावस्कर अभी भी पांच दिवसीय टेस्ट क्रिकेट में देश के तीसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ियो की सूची में शामिल हैं। सलामी बल्लेबाज सुनील देश के लिए एक महान क्रिकेटर थे। और, उन्होंने दो मौकों पर टेस्ट में लगातार तीन शतक जड़कर क्रिकेट फैंस के दिलो में हमेशा के लिए जगह बना ली थी।
सुनील गावस्कर ने वर्ष 1971 में टेस्ट क्रिकेट से अपने करियर की शुरुआत की थी। और, अपने डेब्यू सीज़न में ही उन्होंने लगातार तीन शतक बनाए वो भी वेस्टइंडीज के खिलाफ। उन्होंने सात साल बाद इस कारनामे को दोहराया, हालांकि ये मैच उपमहाद्वीप में था। गावस्कर के तूफानी पारी के बावजूद भारत इनमें से किसी भी मैच पर विजय नही पाई थी।
3.) पॉली उमरीगर:
सुनील गावस्कर की तरह ही पोली उमरीगर ने चेन्नई में वर्ष 1961 में पाकिस्तान के खिलाफ दूसरी पारी में 117 रन मारे। इसके बाद लगातार दिल्ली में पाकिस्तान के खिलाफ पहली पारी में 112 रन और लगातार कानपुर में इंग्लैंड के खिलाफ नाबाद पहली पारी में ही 147 रन मारकर लगातार 3 शतकों का रिकॉर्ड दर्ज किया।
टेस्ट में दोहरा शतक लगाने वाले पहले भारतीय क्रिकेटर पोली उमरीगर ने संन्यास लेने के बाद भी भारत के लिए अधिकांश बल्लेबाजी रिकॉर्ड बनाए। वैसे कुछ साल बाद ही महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने इन सभी खिलाड़ियो को पीछे छोड़ दिया था।
पूर्व कप्तान उमरीगर लगातार तीन शतक बनाने वाले भारतीयों की सूची में दूसरे स्थान पर थे। उन्होंने भारतीय शहरों जैसे चेन्नई, कानपुर और दिल्ली में ऐसे इतिहास रचे। इन तीनों मुकाबलों में भारत ने ड्रॉ खेला।
2.) विजय हजारे:
विजय हजारे ने मुंबई के क्रिकेट ग्राउंड में वेस्टइंडीज के खिलाफ बल्लेबाजी करते हुए वर्ष 1949 में चौथी पारी के दौरान 122 रनों की बल्लेबाजी की। इसके बाद वर्ष 1951 में दिल्ली में वेस्टइंडीज के खिलाफ दूसरी पारी में नाबाद खेलते हुए 164 रनों की अपनी पारी खेली और मुंबई में इंग्लैंड के खिलाफ पहली पारी में 155 रन की शानदार बल्लेबाजी करते हुए लगातार 3 शतकों का रिकॉर्ड पूरा किया।
हालांकि वह इस सूची का हिस्सा हैं। लेकिन, भारत की आजादी के बाद विजय हजारे ऑस्ट्रेलिया में अपने इस रिकॉर्ड के लिए सार्वधिक जाने जाते थे। देश के पहले ऑस्ट्रेलिया दौरे में इस खिलाड़ी ने एडिलेड टेस्ट की हर पारी में शतक जड़ा था।
वैसे भारत को इस पूरे टूर्नामेंट में हार का सामना करना पड़ा था। हजारे के प्रयास ने भारत के प्रदर्शन को उस टूर्नामेंट में एक अलग ही सम्मान दिलाया। 30 टेस्ट में 47.65 की औसत से, दाएं हाथ के बल्लेबाज हजारे ने 2192 रन बनाए, जिसमें सात शतक और नौ अर्द्धशतक शामिल हैं। उन्होंने अपनी मध्यम गति की गेंदबाजी से भी कुल 20 विकेट लिए।
1.) राहुल द्रविड़:
राहुल द्रविण को टेस्ट क्रिकेट में एक मजबूत दीवार माना जाता था। उन्होंने वर्ष 2002 में नॉटिंघम में इंग्लैंड के खिलाफ तीसरी पारी में 115 रनों की बल्लेबाजी की। इसके साथ ही लगातार लीड्स में इंग्लैंड के खिलाफ 148 रन, ओवल में इंग्लैंड के खिलाफ ही दूसरी पारी के दौरान 217 और मुंबई में वेस्टइंडीज के खिलाफ पहली पारी में ही नाबाद 100 रनों की पारी खेलकर लगातार 4 शतक टेस्ट क्रिकेट में लगाने का रिकॉर्ड बनाया।
टेस्ट क्रिकेट में लगातार चार शतक लगाने वाले कुछ तीन खिलाड़ियों में से एक राहुल द्रविड़ छह भारतीय खिलाड़ियों की इस सूची में सबसे ऊपर हैं। द्रविड़ ने टेस्ट क्रिकेट में लगातार बैक टू बैक शतकों की बारिश करवाई है। राहुल द्रविड़ के दौर में, भारत का इंग्लैंड में जा कर खेलने और हारने को हमेशा एक बुरे सपने की तरह माना जाता था। उन दिनों अंग्रेजों के होम ग्राउंड में एक गेम जीतना तो दूर, मैच ड्रॉ करना भी नामुमकिन हुआ करता था। हालांकि दौरे के दौरान द्रविड़ हमेशा अच्छी फॉर्म में थे।
2002 में भारत के इंग्लैंड दौरे के दूसरे, तीसरे और चौथे टेस्ट में द्रविड़ ने शतक बनाया और भारत को लीड्स में दो ड्रॉ और यादगार जीत दिलाने में मदद की। इसके बाद उन्होंने बाद की घरेलू श्रृंखला के पहले टेस्ट में 100 रन बनाए और यह उपलब्धि हासिल करने वाले वह पहले भारतीय बने।