कैप्टन कूल के नाम से मशहूर भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने मैदान के अंदर और बाहर लिए गए अपने फैसलों से हर बार सभी को आश्चर्यचकित किया है। साल 2011 में भारत को विश्व विजेता बनाने वाले कप्तान ने पूरे देश को तब सदमे में छोड़ दिया था। जब, उन्होंने साल 2014 में टेस्ट क्रिकेट से असामयिक संन्यास ले लिया और 2017 में सीमित ओवरों की कप्तानी से हट गए।
आज हम महेंद्र सिंह धोनी द्वारा लिए गए उन यादगार फैसलों पर चर्चा करने जा रहे हैं, जो भारतीय क्रिकेट के लिए मास्टर स्ट्रोक साबित हुए।
5.) रोहित शर्मा को ओपनर के रूप में इस्तेमाल करना:
बहुत कम क्रिकेट फैंस यह जानते होंगे लेकिन रोहित ने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत बतौर ओपनर नही की थी। वास्तव में, रोहित को मध्यक्रम का बल्लेबाज माना जाता था। लेकिन, उन्होंने कुछ मैचों में अपनी क्षमता की झलक दिखाई। जिसके बाद धोनी ने उनकी क्षमता को देखते हुए बल्लेबाजी क्रम बदलाव कर दिया। रोहित ने साल 2013 में शिखर धवन के साथ साझेदारी करते हुए शानदार पारी खेली।
रोहित का बल्ला क्रिकेट की पिच पर हमेशा ही रन उगलता रहा है। लेकिन, जब से उन्होंने टीम इंडिया की शुरुआत करना शुरू किया है उनका बल्लेबाजी औसत 57 के आसपास रहा है। रोहित वर्तमान में एकमात्र क्रिकेटर हैं जिन्होंने एकदिवसीय मैचों में तीन दोहरे शतक और टी-20I में चार शतक लगाए हैं।इसलिए कहा जा सकता है कि, महेंद्र सिंह धोनी के मास्टरस्ट्रोक ने रोहित को सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ सलामी बल्लेबाजों में से एक बना दिया।
4.) टेस्ट में विराट कोहली का समर्थन:
साल 2012 के ऑस्ट्रेलिया दौरे के शुरुआती चरण के दौरान विराट ने अपने प्रदर्शन से हर किसी को निराश किया था। इससे पहले भी, साल 2011 में उनका इंग्लैंड दौरा शानदार नहीं रहा था। जहां भारत को जहाँ भारत को इंग्लैंड के हाथों 4-0 से मात झेलनी पड़ी थी।
ऑस्ट्रेलिया में तीन टेस्ट मैचों में अच्छा प्रदर्शन नहीं करने के बाद रोहित शर्मा को मौका मिलने की चर्चा थी। लेकिन धोनी डटे रहे और कोहली को प्लेइंग इलेवन में स्थान दिया। कप्तान के फैसले को सही साबित करने उतरे कोहली ने एडिलेड में हुए टेस्ट में शतक बनाया। निःसन्देह, धोनी के समर्थन के बिना, विराट आज इतने सफल क्रिकेटर नहीं होते।
3.) जोगिंदर शर्मा में दिखाया विश्वास:
टी-20 विश्वकप के पहले संस्करण के फाइनल में भारत और पाकिस्तान के बीच मैच बेहद रोमांचक स्थिति में पहुंच चुका था। रोमांच की स्थिति ऐसी थी कि मैच आखिरी ओवर में जा पहुंचा था। स्ट्राइक पर मिस्बाह-उल-हक मौजूद थे और पाकिस्तान को जीत के लिए महज 13 रनों की जरूरत थी। किसी अन्य अनुभवी कप्तान ने निश्चित रूप से यहां अनुभवी हरभजन सिंह से गेंदबाजी करने का निर्णय लिया होता। लेकिन, एमएस धोनी अलग ही गेम प्लान तैयार कर चुके थे।
धोनी ने आखिरी ओवर में गेंदबाजी के लिए युवा गेंदबाज जोगिंदर शर्मा को गेंद थमा दी। धोनी की यह प्लानिंग कारगर साबित हुई क्योंकि जोगिंदर ने मिस्बाह को आउट कर दिया था। धोनी के इस मास्टरस्ट्रोक से भारत पहली बार वर्ल्ड टी-20 ट्रॉफी जीतकर वर्ल्ड चैंपियन बना था।
2.) युवराज सिंह को प्रोत्साहन:
युवराज सिंह 2011 में हुए विश्वकप में बल्ले से संघर्ष कर रहे थे। धोनी को पता था कि युवराज विश्वकप जैसे दबाव वाले टूर्नामेंट में क्या कर सकते हैं। इसलिए, युवी को ड्राप करने का जोखिम लेना सही फैसला नही हो सकता। ऐसे में, धोनी ने एक गेंदबाज के रूप में युवराज का आत्मविश्वास बढ़ाना शुरू किया और उन्हें पांचवें गेंदबाज के रूप में इस्तेमाल किया।
धोनी का यह फैसला एक बार फिर सही साबित हुआ। युवराज ने उस विश्वकप में मैन ऑफ द टूर्नामेंट का पुरस्कार जीतने के बाद आलोचकों को मुह बंद कर दिया था। वह विश्वकप में भारत की सफलता की सबसे बड़ी कड़ी साबित हुए थे। उनकी सबसे यादगार पारी क्वार्टर फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आई, जिसने भारत को सेमीफाइनल में जगह सुनिश्चित करने में मदद की थी।
1.) विश्वकप फाइनल में खुद को प्रमोट करना:
साल 2011 के विश्वकप फाइनल में भारत का मुकाबला श्रीलंका से होना था। इस मैच में श्रीलंका ने भारत के सामने 275 रनों के लक्ष्य रख दिया था। ओपनर वीरेंद्र सहवाग एयर सचिन तेंदुलकर सस्ते में निपट चुके थे। भारतीय टीम का स्कोर 114-3 हो चुका था। थोड़ा संघर्ष करने के बाद विराट कोहली भी पवेलियन का रास्ता नाप चुके थे। ऐसे में हर किसी को उम्मीद थी कि युवराज सिंह क्रीज पर आएंगे। लेकिन एमएस धोनी ने जिम्मेदारी ली और बल्लेबाजी के लिए उतरे। इसके बाद की कहानी तो इतिहास के पन्ने में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो चुकी है।
श्रीलंकाई स्पिनरों की घातक जोड़ी लगातार गेंदबाजी कर रही थी। मलिंगा भी यॉर्कर के अलावा शायद सब भूल चुके थे।उल्लेखनीय है कि, इस मैच से पहले धोनी के बल्ले से पूरे टूर्नामेंट में कोई बड़ी पारी देखने को नही मिली थी। लेकिन, उस रात धोनी ने अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ पारी खेलते हुए भारत को जीत की दहलीज तक ले गए। और फिर, वही हुआ जिसका सभी को इंतजार था। धोनी ने अपनी स्टाइल में छक्का जड़ते हुए भारत को 28 साल बाद विश्व विजेता बना दिया था।