विराट कोहली के साथ डेब्यू करने वाले वो प्लेयर्स जो अब हो चुके हैं गुमनाम
भारतीय क्रिकेट स्टार विराट कोहली खेल के सभी प्रारूपों टेस्ट, वनडे और टी-20 में दुनिया के सबसे महान बल्लेबाजों में से एक हैं। विराट ने अपने क्रिकेट करियर में कई रिकॉर्ड तोड़कर अपनी क्षमता साबित की है। वह अपने शुरुआती दिनों से ही एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी रहे हैं और सफलता हासिल करने के लिए उसने कड़ी मेहनत की है।
विराट कोहली ने साल 2008 में 20 साल की उम्र में भारतीय क्रिकेट टीम के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया था और अब, 13 साल बाद, वह सर्वकालिक महान खिलाड़ियों की सूची में शामिल हैं। विराट कोहली ने जब भारतीय भारत के लिए डेब्यू किया था। तब, उनके साथ कई अन्य क्रिकेटर्स ने भी डेब्यू किया था। हालांकि, आज विराट एक स्थापित क्रिकेटर हैं लेकिन, उनके साथ डेब्यू करने वाले अन्य क्रिकेटर शुरुआत से ही संघर्ष करते हुए दिखाई दे रहे थे।
इसी नोट के साथ, आइए उन भारतीय क्रिकेटरों पर एक नज़र डालते हैं जिन्होंने विराट कोहली के साथ डेब्यू किया था। लेकिन, उनमें से कुछ का लोग नाम भी नही जानते हैं।
1.) मनप्रीत गोनी:
मनप्रीत गोनी ने साल 2008 में आईपीएल, रणजी ट्रॉफी और देवधर ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन के बाद हांगकांग के खिलाफ अपना वनडे डेब्यू किया था। दाएं के इस तेज गेंदबाज को जब टीम इंडिया में शामिल किया तो, उनमें काफी संभावनाएं दिखाई दे रहीं थीं। हालांकि, वह उन संभावनाओं पर खरे नही उतर सके।
मनप्रीत गोनी ने, भारत के लिए केवल दो एकदिवसीय मैच खेले हैं। जिनमें 5.84 की इकॉनमी से दो विकेट हासिल किए थे। चूंकि, वनडे क्रिकेट के लिए 5 से अधिक की इकॉनमी को सही नही ठहराया जा सकता था। और, वह अधिक विकेट लेने में भी सफल नही हुए थे। इसलिए, जल्द ही उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया।
इतना ही नहीं, वह आईपीएल में भी अच्छा प्रदर्शन करने में सफल नही हो सके। साथ ही घरेलू सर्किट में भी उनकी वापसी भी औसत दर्जे की थी, जिसके परिणामस्वरूप उनके छोटे अंतरराष्ट्रीय करियर का अंत हो गया। गोनी अब विदेशी टी20 लीग: ग्लोबल टी20 कनाडा और लंका प्रीमियर लीग में खेलते हुए नज़र आते हैं।
2.) सुब्रमण्यम बद्रीनाथ:
तमिलनाडु के एक अनुभवी क्रिकेटर सुब्रमण्यम बद्रीनाथ तकनीकी रूप से कुशल और कॉम्पैक्ट बल्लेबाज थे। जिन्होंने, रणजी ट्रॉफी के साथ-साथ भारत ए के लिए भी काफी रन बनाए हैं। घरेलू सर्किट में आठ साल के शानदार प्रदर्शन के बाद, बद्रीनाथ को आखिरकार भारत के लिए डेब्यू करने का मौका मिला।
यह श्रीलंका के खिलाफ खेली गई वही श्रृंखला थी जिसमें विराट कोहली ने भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया था।। हालाँकि, पर्याप्त अवसर मिलने के बाद भी वह भारत के लिए सभी प्रारूपों में केवल दस मैचों में 185 रन ही बना सके। बद्रीनाथ ने चेन्नई सुपर किंग्स के लिए आईपीएल में भी अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन भारतीय चयनकर्ताओं ने इसे नजरअंदाज कर दिया और अब वह एक कमेंटेटर और विशेषज्ञ के रूप में काम करते हैं।
3.) प्रज्ञान ओझा:
प्रज्ञान ओझा भारत के लिए खेल चुके सबसे अच्छे बाएं हाथ के स्पिनरों में से हैं। खासकर खेल के सबसे लंबे प्रारूप में। लिस्ट-ए क्रिकेट में कई सफल प्रदर्शनों के बाद, ओझा ने साल 2008 में बांग्लादेश के खिलाफ वनडे में पदार्पण किया था।
प्रज्ञान ओझा सीमित ओवरों के सर्किट में उतना प्रभावी नहीं थे। लेकिन, टेस्ट में अपनी क्षमता साबित करने में काफी हद तक सफल रहे। जहां उन्होंने, केवल 24 मैचों में ही 113 विकेट हासिल कर लिए थे। हालांकि, चोटों के कारण वह भारतीय टीम में नियमित नहीं रह सके और साल 2013 में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना आखिरी टेस्ट खेला जहां उन्होंने दस विकेट लिए और प्लेयर ऑफ द मैच भी थे।
4.) मनोज तिवारी:
मनोज तिवारी को भारत के लिए सबसे बदकिस्मत क्रिकेटरों में से एक माना जा सकता है। रणजी ट्रॉफी में बंगाल के लिए भारी रन बनाने के बाद, तिवारी बांग्लादेश के खिलाफ पदार्पण करने के लिए पूरी तरह तैयार थे।
हालांकि, कंधे की चोट ने उन्हें बाहर कर दिया और, तिवारी को टीम इंडिया की जर्सी में खेलने के लिए साल 2008 तक इंतजार करना पड़ा। मनोज तिवारी ने 2008 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एकदिवसीय क्रिकेट में पदार्पण किया लेकिन उस अवसर पर वह अच्छा प्रदर्शन करने में असफल रहे। जिसके बाद उन्हें टीम इंडिया से बाहर कर दिया गया।
हालांकि, तीन साल बाद एक बार फिर साल 2011 में उन्हें टीम इंडिया में शामिल किया। जहाँ, उन्होंने उस वर्ष वेस्ट इंडीज के खिलाफ अपना एकमात्र अंतरराष्ट्रीय शतक बनाया, लेकिन एक बार फिर महीनों के लिए हटा दिया गया। बाद में, तिवारी को कुछ मौके मिले, लेकिन वे उनका फायदा नहीं उठा सके, जिसके परिणामस्वरूप उनका अंतरराष्ट्रीय करियर समाप्त हो गया।
फिलहाल, मनोज तिवारी क्रिकेट से दूर राजनीतिक क्षेत्र में हाथ आजमा रहे हैं। जहाँ उन्हें सफलता भी मिली हैं। और अब, वह बंगाल विधानसभा के सदस्य भी हैं।
भारतीय टीम के सबसे विस्फोटक बल्लेबाजों में से एक, यूसुफ पठान, घरेलू क्रिकेट में बड़ौदा के लिए सबसे शानदार प्लेयर थे। इतना ही नहीं, साल 2007 के टी-20 विश्वकप में डेब्यू करने वाले यूसुफ के शानदार प्रदर्शन के कारण ही भारत टी-20 विश्वकप का पहला संस्करण जीतने में कामयाब रहा था।
यूसुफ पठान ने उस समय सुर्खियां बटोरीं जब उन्होंने 2008 में राजस्थान रॉयल्स को आईपीएल ट्रॉफी जीतने में मदद की और 179 के स्ट्राइक रेट से 435 रन बनाए और साथ ही फाइनल में प्लेयर ऑफ द मैच भी अर्जित किया। उन्होंने 57 एकदिवसीय और 22 टी-20I मैचों में क्रमशः 810 और 236 रन बनाकर भारत का प्रतिनिधित्व किया। पठान साल 2012 और 2014 में कोलकाता नाइट राइडर्स आईपीएल जीत के प्रमुख सदस्य भी थे।
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