ऋषभ पंत ने किया बड़ा खुलासा, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज के दौरान किसी से नहीं करता था बात
बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2020-21 भारतीय क्रिकेट इतिहास की कुछ स्वर्णिम जीत में से एक है। वास्तव में, इस सीरीज को सदियों तक याद किया जाएगा। क्योंकि, जिस तरह से भारत के युवा प्लेयर्स खासतौर से ऋषभ पंत के शानदार प्रदर्शन के बल पर टीम इंडिया ने इस सीरीज में वापसी करते हुए जीत दर्ज की थी उससे ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम पूरी तरह स्तब्ध रह गई थी।
गौरतलब है कि, ऑस्ट्रेलिया ने डे नाइट टेस्ट मैच की दूसरी पारी में भारत को केवल 36 रनों पर आउट करते हुए हुए 4 मैचों की सीरीज में 1-0 की बढ़त हासिल कर ली थी। बड़ी बात यह थी कि, ऋषभ पंत इस मैच में टीम इंडिया का हिस्सा नहीं थे।
हालांकि, पहले मैच में मिली करारी हार के बाद टीम मैनेजमेंट ने उन्हें दूसरे मैच की प्लेइंग इलेवन में जगह दी थी। जिसका नतीजा यह रहा कि पंत ने ऑस्ट्रेलियाई प्लेयर्स पर विकेटकीपिंग के दौरान गजब दवाब बनाते हुए माइंड गेम खेला था।
इसके बाद, ऋषभ पंत ने बाद दो टेस्ट मैचों में बेहतरीन प्रदर्शन किया था और फिर उन्होंने ब्रिस्बेन टेस्ट जिताने के बाद ऐतिहासिक बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में टीम इंडिया को जीत दिलाई थी।
उल्लेखनीय है कि, टीम इंडिया की इस जीत के बाद से ऋषभ पंत क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में भारतीय टीम के नियमित सदस्य रहे हैं। हालांकि, इस सीरीज से पहले पंत को टीम इंडिया से बाहर कर दिया गया था। तब, केएल राहुल ने वनडे और टी20I में विकेटकीपिंग की जिम्मेदारी संभाली, जबकि रिद्धिमान साहा टेस्ट में बतौर विकेटकीपर टीम इंडिया का हिस्सा थे।
मेरा टारगेट सिर्फ टीम इंडिया को जीताना था: ऋषभ पंत
ड्रीम बिग स्टोरी पर भारतीय महिला क्रिकेट टीम की खिलाड़ी जेमिमा रोड्रिग्स से बात करते हुए, ऋषभ पंत ने 2020-21 के ऑस्ट्रेलियाई दौरे को याद करते हुए कहा है कि मेरी गर्दन में चोट लग गई थी और मुझे काफी तकलीफ हो रही थी। लेकिन, मेरा लक्ष्य टीम इंडिया को जीत दिलाना है।
ऋषभ पंत ने कहा है कि, ”मैं किसी से बात नहीं कर रहा था, यहां तक कि परिवार या दोस्तों से भी नहीं। मुझे अपना स्पेस चाहिए था। मैं हर दिन अपना 200% देना चाहता था। मैं बस अपने आप से कह रहा था, ऐसा करने के अलावा कोई चारा नहीं है। मुझे भारत को जीत दिलाना था। मेरे लिए अपने खेल पर ध्यान देने के अलावा और कुछ भी नहीं था।“
ऋषभ पंत की इन बातों से स्पष्ट है कि, उन्होंने दृढ़ निश्चय किया और अपने प्रदर्शन से सिर्फ जीत पर फोकस किया। जिसका परिणाम यह हुआ कि टीम इंडिया ने न केवल ऑस्ट्रेलिया का गाबा का घमंड तोड़ा और बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी अपने नाम की बल्कि पंत टीम इंडिया का अहम हिस्सा बन गए।