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टी-20 वर्ल्डकप में इन खिलाड़ियों के होने के बाद, भारत को हराना होता मुश्किल

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आईसीसी टी-20 वर्ल्डकप में पहले पाकिस्तान के हाथों 10 विकेट से मिली हार और फिर न्यूजीलैंड के हाथों 8 विकेट से करारी शिकस्त के बाद भारत का टी-20 विश्वकप से बाहर होना लगभग तय हो चुका है। जब भारतीय बल्लेबाज विपक्षी गेंदबाजों के सामने ताश के पत्तों की तरह ढहते हुए नज़र आए। और, फिर गेंदबाज भी विकेट लेने में असफल रहे। तब, पूरी टीम के चयन पर कई सवालिया निशान लगने शुरू हो गए।

एक बार जब आपकी टीम हारने लगती है, तो ऐसे सवाल उठना तेज हो जाते हैं। वास्तव में, यह आवश्यक भी है। लेकिन, जीतती हुई टीम की खामियां छिपाई जा सकती हैं। किंतु, हार के बाद पूरी टीम की कलई खुलकर सामने आ जाती है।

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टी-20 वर्ल्डकप शुरू होने से पहले ही, आईपीएल के मैचों में  यह स्पष्ट हो गया था कि टॉस इस विश्वकप में भी मएक निर्णायक भूमिका में होगा। जिसमें ओस भी एक महत्वपूर्ण कारक हो सकती है। अफसोस की बात है कि, कोहली के लिए किस्मत कभी उनके पक्ष में नहीं रही। हालाँकि, टॉस हारने के बाद भी यदि टीम में परिवर्तन नही किया गया है तो यह दर्शाता है कि विफलता कई मोर्चों पर एक साथ हासिल हुई है।

इन सभी बातों से दूर, सबसे बड़ा विषय यह है कि, जिन प्लेयर्स को टीम में चुना गया था। वह पूरी तरह से विफल रहे हैं। ऐसे में यह प्रश्न उठना लाजिमी है कि, क्या कुछ अनुभवी या इन फॉर्म प्लेयर्स को शामिल कर इस तरह की बुरी हार टाली जा सकती थी।

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आज के इस लेख में, हम उन खिलाड़ियों की सूची पर एक नज़र डालेंगे जिनके टीम में शामिल होने के बाद भारतीय टीम को हराना बेहद मुश्किल हो जाता।

1.) वेंकटेश अय्यर:

आईपीएल की शुरुआत में कोलकाता नाइट राइडर्स सबसे कमजोर टीमों से एक थी। लेकिन, दूसरे चरण में फ्रेंचाइजी ने एक युवा प्लेयर को प्लेइंग इलेवन में शामिल किया। जिसके आने के बाद से फ्रेंचाइजी का रूप पूरी तरह बदल गया। यह प्लेयर था मध्यप्रदेश के इंदौर में रहने वाला वेंकटेश अय्यर। जिन्होंने अपनी शानदार बल्लेबाजी के दम पर केकेआर को पॉइंट टेबल पर ऊपर पहुंचाने का कार्य किया।

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बाएं हाथ के इस बल्लेबाज के इंडिया टीम में होने से व्यापक बदलाव देखने को मिल सकते थे। मसलन, उन्होंने आईपीएल में धीमी होती पिच पर भी क्लासिकल प्रदर्शन किया था।

हार्दिक पांड्या की चोट और उनकी सीमित गेंदबाजी उपलब्धता को देखते हुए, अय्यर एक मध्यम गति के गेंदबाज भी थे। आईपीएल में वेंकटेश अय्यर ने यह दिखाया था कि वह बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में ही माहिर हैं।

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यदि, आपको साल 2007 में हुए टी-20 वर्ल्डकप का पहला आयोजन याद हो तो उस विश्वकप में तत्कालीन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने रोहित शर्मा और जोगिंदर शर्मा के रूप में कुछ आश्चर्यजनक चयन किए थे। जिन्हें, टी-20 क्रिकेट में अधिक नही खेला था। लेकिन, उन्होंने स्वाभाविक रूप से अपने प्रदर्शन से सभी को प्रभावित किया था।

इसमें कोई दो राय नही है कि, वेंकटेश अय्यर को अभी भी बड़ी सफलता हासिल करने के लिए कुछ और आईपीएल सीजन खेलने की आवश्यकता होगी। लेकिन, घरेलू टूर्नामेंट और आईपीएल दोनों में मुश्किल ट्रैक पर उन्होंने जो गुणवत्ता दिखाई है, वह टीम में उनके शामिल होने का एक निर्णायक कारक हो सकता था।

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2.) युजवेंद्र चहल:

आईपीएल में एक सामान्य शुरुआत के बाद, युजवेंद्र चहल अंतिम आठ मैचों में 14 विकेट लेने में सफल रहे। यह सभी जानते हैं कि, संयुक्त अरब अमीरात में सतहें धीमी होती हैं और स्पिनरों को कुछ शानदार गति प्रदान करती हैं। भारत ने अपने टर्निंग डिपार्टमेंट के लिए वरुण चक्रवर्ती, राहुल चाहर, रविचंद्रन अश्विन और जडेजा के साथ जाने का विकल्प चुना।बड़ी टीमों के खिलाफ कुछ प्रभावशाली योगदान सहित टूर्नामेंट के दूसरे चरण में चमत्कारी प्रदर्शन के बावजूद, चहल को टीम इंडिया के वर्ल्डकप स्क्वॉड में स्थान नही दिया गया।

पहले मैच में जहां जडेजा और वरुण चक्रवर्ती पाकिस्तानी बल्लेबाजों के विरुद्ध सिर्फ संघर्ष करते हुए दिखाई दिए। वहीं, दूसरे मैच में भी वरुण और जडेजा सफलता प्राप्त नही कर सके। हालांकि, आईपीएल में दोनों ही शानदार फॉर्म में थे। लेकिन, चहल भी किसी से कम नही थे। इसके अलावा उनके पास बल्लेबाजों को परेशान करने के लिए गति और एक बहुत ही कड़ी लाइन- लेंथ है।

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3.) शिखर धवन:

जब भी कोई आईसीसी टूर्नामेंट होता है तो आप गब्बर यानि ​​शिखर धवन को टीम बाहर करने की गलती नहीं कर सकते।50 ओवर के विश्वकप में उनका औसत 53.70 जबकि एशिया कप में 51.08 और चैंपियंस ट्रॉफी में 77.88 का है। हालांकि, धवन ने आईसीसी टी-20 वर्ल्डकप के एक भी मैच नही खेले हैं। लेकिन यदि, किसी को हाल ही में समाप्त हुए आईपीएल में धमाकेदार प्रदर्शन के बाद प्लेइंग इलेवन में शामिल होने का मौका मिलना ही चाहिए था, तो वह शिखर धवन थे।

धवन ने आईपीएल-2021 में सनराइजर्स के खिलाफ 42, केकेआर के खिलाफ 24, चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाफ 39, रॉयल चैलेंजर्स चैलेंजर्स के खिलाफ 43 और कोलकाता के खिलाफ 36 रन बनाए थे।

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इतना ही नही धवन पूरे आईपीएल में कभी भी हड़बड़ी में नहीं दिखाई दिए और बल्लेबाजी के लिए सबसे कठिन ट्रैक पर भी बहुत कम गलतियां ही कीं। इसके अलावा, शिखर धवन के पास लंबा अनुभव है। जिससे रोहित, राहुल और कोहली को एक छोर पर खुलकर बल्लेबाजी करने की अनुमति भी होती। जबकि उन्होंने दूसरे छोर पर भी मुख्य भूमिका में दिख सकते थे।

अब जबकि, इस टी-20 वर्ल्डकप के सेमीफाइनल में जगह बनाने की उम्मीदें लगभग खत्म हो चुकी हैं। तब, शायद भारतीय चयनकर्ताओं, कोच और कप्तान को निश्चित ही यह सोचना होगा कि आखिर वे कहां गलत हो गए।

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