साल 1966 में बॉलीवुड सुपरस्टार राजेश खन्ना अभिनीत फ़िल्म आनंद का एक बड़ा ही मशहूर डॉयलॉग है, “बाबू मोशाई, ज़िंदगी बड़ी होनी चाहिए, लंबी नहीं”। यानि कि जिंदगी का असली महत्व ऐसे काम में है, जिससे नाम बड़ा हो जाए नाकि लंबे समय तक जीवित रहने में है। जब बात मानव जीवन की आती है तो यह निश्चित है कि यहां सौ या हजार नही बल्कि लाखों में किसी एक को ही सफलता मिल पाती है। देश के सर्वाधिक लोकप्रिय और सबसे अधिक खेले जाने वाले खेल, क्रिकेट में भी हर किसी को सफलता मिलना आसान नहीं है। क्रिकेट में किसी भी क्रिकेटर का करियर समाप्त होने के अनेकानेक कारण हो सकते हैं।
हालांकि, कुछ ऐसे भी खिलाड़ी रहे जिन्होंने बहुत कम समय तक ही क्रिकेट खेला किन्तु उसमें उन्होंने ऐसा प्रदर्शन किया। जिसने उन्हें इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में अपना नाम दर्ज कराने में मदद की।
आज हम क्रिकेट के ऐसे ही सितारों की बात करेंगे जिन्होंने बहुत कम समय ही क्रिकेट खेला है। लेकिन, इस दौरान अपने लाजवाब प्रदर्शन से न केवल क्रिकेट प्रशंसकों को प्रभावित किया। बल्कि, करोड़ों दिलों में अपनी जगह बनाने में भी कामयाबी हासिल की।
1.) फिलिप ह्यूज:
ऑस्ट्रेलियाई ओपनर फिलिप ह्यूज ने बहुत कम समय में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अपना नाम कमाया था। फिलिफ ह्यूज जब एक घरेलू मैच खेल रहे थे तब वह लगातार अच्छे शॉट लगाते जा रहे थे। जिससे बचने के लिए सीन एबॉट ने उनके खिलाफ एक तीखा और तेज बाउंसर फेका। जोकि, फिलिप के सर के पिछले हिस्से में जाकर लगी। जिसके बाद वह जमीन पर गिर गए। जिसके बाद उन्हें स्ट्रेचर के माध्यम से हॉस्पिटल ले जाया गया। लेकिन, उन पर न तो दुआओं का असर हुआ और न ही दवाओं का।
अपने छोटे से क्रिकेट करियर में, फिलिप ह्यूज ने 26 टेस्ट मैच खेले, जिसमें उन्होंने 1535 रन बनाए, जबकि 25 एकदिवसीय मैचों में 826 रन बनाए थे। फिलिप ह्यूज की बैटिंग तकनीक और उनके शानदार फॉर्म के कारण उनकी तुलना महान बल्लेबाज जस्टिन लैंगर से की जाने लगी थी।
2.) इरफान पठान:
इरफान पठान उन खिलाड़ियों में से एक हैं जिनका करियर बहुत जल्द खत्म हो गया था। इस ऑल राउंडर प्लेयर ने कई मैचों में अपने शानदार प्रदर्शन के बल पर टीम इंडिया को जीत दिलाई थी। भारतीय गेंदबाजों का रिवर्स स्विंग गेंदबाजी करना उन दिनों बेहद दुर्लभ माना जाता था। लेकिन, इरफान बहुत कम समय में ही रिवर्स स्विंग के बेताज बादशाह बन चुके थे।
इरफान साल 2007 में हुए आईसीसी टी-20 विश्वकप के पहले संस्करण के फाइनल मैच में मैन ऑफ द मैच भी थे। इरफान पठान ने प्रभावशाली गेंदबाजी के साथ-साथ कई उल्लेखनीय पारियां भी खेलीं। जिसके बाद यह कहा जाने लगा था कि भारतीय टीम में तेज गेंदबाज ऑल राउंडर की कमी पूरी हो चुकी है। हालांकि, करीयर के उच्च शिखर में पहुंचने के बाद पठान की गेंदबाजी और बल्लेबाजी के स्तर में गिरावट दिखाई देने लग गई थी। जिसके बाद उन्होंने अपने बड़े क्रिकेट करियर को जिसमें उन्हें कम से कम 350 मैच खेलने चाहिए थे। लेकिन, उन्होंने इसे महज 173 मैचों में ही समाप्त कर दिया।
3.) शॉन टेट:
पूर्व ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज शॉन टेट को अपने दौर का सबसे घातक तेज गेंदबाज कहा जाता था। उनकी कहर बरपाती तेज गेंदबाजी के कारण बल्लेबाज उनके सामने बेबस दिखाई देते थे। शॉन टेट की गेंदबाजी में 150 किमी से अधिक की स्पीड के साथ ही बल्लेबाजों की बॉडी लाइन पर लगातार गेंदबाजी करने की क्षमता उन्हें सबसे अलग बनाती थी।
हालांकि, अपनी गेंदबाजी में अधिक गति का लगातार प्रयास करने के कारण वह बार-बार चोटिल होते रहे। जिससे उनके करियर में ग्रहण लगना शुरू हो गया था। टेट चोट से उबरने के बाद अपनी गति में लगातार निरन्तरता के साथ गेंदबाजी करते हुए दिखाई देते थे। जबकि उन्हें अपनी गति में कमी करने के साथ ही थोड़ा समय आराम करना चाहिए था। लेकिन, चोट ने उनके करियर को एक बार प्रभावित किया। जिसके कारण टेट का अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर 35 वनडे, 3 टेस्ट और 21 टी-20I तक ही सीमित रह गया था।
4.) सोहेल तनवीर:
पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज सोहेल तनवीर अपरंपरागत बॉलिंग एक्शन और गति के साथ गेंदबाजी करते थे। सोहेल को गति के साथ ही उनकी लंबाई का फायदा भी मिला। चूंकि, सोहेल तनवीर अन्य गेंदबाजों की तुलना में अधिक लंबे थे। ऐसे में उन्हें सामान्य से अधिक उछाल प्राप्त होता था। जिसके कारण वह विकेट लेने में अधिक सफल रहे।
अफसोस की बात है कि, उनके करियर ने अचानक खराब मोड़ ले लिया। पाकिस्तान के लिए अपने सीमित प्रदर्शन में, तेज गेंदबाज सोहेल तनवीर ने 130 अंतरराष्ट्रीय विकेट लेने में सफल प्राप्त की थी। तनवीर कम समय में पाकिस्तान के उन तेज गेंदबाज़ों में शुमार हो गए थे जो मैच दर मैच शानदार गेंदबाजी करते जा रहे थे।
5.) रिकार्डो पॉवेल:
कैरीबियाई प्लेयर रिकॉर्डो पॉवेल का क्रिकेट करियर बेहद ही कम समय में सफलता के सातवें आसमान पर था। लेकिन, जितने तीव्र गति से उन्हें सफलता हासिल की थी उसी गति से वह अपने करियर के अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ गए थे। 21वीं सदी के आरंभ के दौरान बल्लेबाज़ों का स्ट्राइक रेट 100 के आसपास होना बेहद ही दुर्लभ था। लेकिन, रिकॉर्डो ने यह कारनामा कर दिखाया था। उन्होंने 109 वनडे मैचों में 96.7 के स्ट्राइक रेट के साथ अपने करियर को समाप्त किया।
रिकॉर्डो पॉवेल का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर कहीं अधिक लंबा होना चाहिए था। लेकिन, उन्होंने लंबे करियर से कहीं अधिक बड़े करियर का अनचाहा चुनाव किया। और, इसी चुनाव के बल पर यह कैरीबियाई वनडे क्रिकेट में बड़े हिट और संयमित खेल के दम पर अपनी धाक जमाने में कामयाब रहा।