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वो भारतीय खिलाड़ी जिन्होंने दो बार टी-20 विश्वकप का फाइनल खेला है

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आईसीसी टी-20 विश्वकप 17 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। आमतौर चार वर्ष में होने वाला यह आयोजन इस बार कोरोना महामारी के कारण 5 वर्ष के अंतराल के बाद हो रहा है। टी-20 विश्वकप में भारतीय टीम को काफी हद तक सफल कहा जा सकता है। क्योंकि, इस विश्वकप के अब तक खेले गए 6 सीजन में से भारत ने पहले सीजन में जीत दर्ज की थी। इसके बाद 2014 में भारतीय टीम फाइनल में पहुंचने में सफल हुई थी। लेकिन, वहाँ उसे श्रीलंका के हाथों हार का सामना करना पड़ा था।

कुल मिलाकर देखें तो भारतीय टीम अब तक दो बार टी-20 विश्वकप के फाइनल में पहुंची है। इस दौरान कुछ ऐसे भी खिलाड़ी थे जिन्होंने दोनों ही बार भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया था।

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आज के इस लेख में हम उन भारतीय खिलाड़ियों के बारे में जानेंगे। जो, दो बार आईसीसी टी-20 विश्वकप का फाइनल खेल चुके हैं।

1.) महेंद्र सिंह धोनी:

पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी उन दिग्गज भारतीय खिलाड़ियों में से एक हैं जिन्होंने टी-20 विश्वकप के दो फाइनल खेले हैं। यह बेहद दिलचस्प है कि, धोनी टी-20 विश्वकप के सभी 6 सीजन का हिस्सा थे। यही नही, इन सभी सीजन में धोनी बतौर कप्तान ही खेलते हुए दिखाई दिए थे।

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हालांकि, महेंद्र सिंह धोनी दोनों ही फाइनल मुकाबलों में कुछ खास नही कर सके थे। साल 2007 के टी-20 विश्वकप के फाइनल में पाकिस्तान के साथ हुए मुकाबले में धोनी 10 गेंदों में 6 रन बनाकर आउट हो गए थे। जबकि, साल 2014 के फाइनल मैच में श्रीलंका के विरुद्ध खेलते हुए धोनी 7 गेंदों में 4 रन बनाकर नाबाद रहे थे।

2.) रोहित शर्मा:

बहुत कम खेल प्रशंसकों को याद होगा कि रोहित शर्मा टी-20 विश्वकप के पहले संस्करण में भारतीय टीम का हिस्सा थे।दरअसल, 2007 में रोहित एक उभरते हुए खिलाड़ी थे। उस दौरान वह निचले मध्यक्रम में बल्लेबाजी किया करते थे। जबकि, 2014 के टी-20 विश्वकप फाइनल में रोहित भारतीय टीम के मुख्य सलामी बल्लेबाज थे।

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टी-20 विश्वकप के पहले आयोजन के फाइनल में रोहित शर्मा ने 16 गेंदों में 30 रनों की शानदार पारी खेलते हुए भारतीय टीम का स्कोर 150 के पार पहुंचाया था। जबकि, 2014 के टी-20 विश्वकप फाइनल में रोहित ने 26 गेंदो में 29 रनों की सधी हुई किन्तु धीमी पारी खेली थी।

3.) युवराज सिंह:

साल 2007 में युवराज सिंह का बल्ला जमकर बोल रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे कि युवराज ड्रेसिंग रूम से ही सेट होकर मैदान पर आते हैं। लेकिन, विश्वकप फाइनल में वे कुछ खास नही कर सके और 19 गेंदों में महज 14 रन की पारी खेलकर आउट हो गए थे।

यदि बात 2014 के टी-20 विश्वकप की करें तो इस संस्करण में युवराज अपने फॉर्म से जूझते हुए दिखाई दे रहे थे। जिसका वास्तविक रंग फाइनल मुकाबले में भी देखने को मिला। युवराज ने श्रीलंका के विरुद्ध हुई इस फ़ाइनल मैच में 21 गेंदों में मात्र 11 रनों की पारी खेली थी। युवराज की इस धीमी बल्लेबाजी के कारण भारत का स्कोर 150 के पार नही जा सका था। यदि युवराज से पहले महेंद्र सिंह धोनी क्रीज पर आए होते तो शायद वह कुछ कमाल कर सकते थे।
बहुत सारे खेल प्रशंसक टी-20 विश्वकप 2014 के फाइनल में भारत की हार का कारण युवराज सिंह की धीमी पारी को ही मानते हैं। क्योंकि यदि उन्होंने तेज बल्लेबाजी की होती तो भारत का स्कोर 150 से अधिक हो सकता था। जिसे फाइटिंग स्कोर कहा जा सकता है। लेकिन, फाइनल में भारत का स्कोर महज 130 रन ही था।

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