वो 5 खिलाड़ी जिन्हें सौरव गांगुली के कारण हासिल हुई सफलता
साल 1999-2000 भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे काले समय में से एक है। इसी दौरान भारतीय क्रिकेट टीम के दिग्गज खिलाड़ियों पर मैच फिक्सिंग के आरोप लगे थे जिसके बाद तत्कालीन कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन समेत अन्य आरोपियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। जिसके बाद, टीम इंडिया को ज़रूरत थी एक ऐसे कप्तान की जो भारतीय क्रिकेट टीम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा सके ऐसे में बीसीसीआई के सामने सौरव गांगुली से अच्छा कोई और विकल्प नही था।
सौरव गांगुली वास्तव में भारत के लिए एक कप्तान के रूप में ऐसे रत्न थे जिसे कोई भी टीम खोना नही चाहती। वह गांगुली ही थे जिन्होंने टीम इंडिया में को निडर बनाते हुए जीत का जज्बा पैदा किया था। दुर्भाग्य से सौरव गांगुली कभी आईसीसी ट्रॉफी नही जीत सके। लेकिन, विदेशी धरती पर टेस्ट मैच जीतने से लेकर ऑस्ट्रेलिया को उसी की धरती पर मात देने के अलावा उन्होंने ऐसे अनेकों खिलाड़ियों को तैयार किया था जो भारतीय क्रिकेट के लिए बेहद फायदेमंद साबित हुए।
आइये, आज के इस लेख में ऐसे क्रिकेट स्टार्स पर एक नज़र डालते हैं जिन्हें सौरव गांगुली की कप्तानी में निखरने और अपने खेल में सुधार करने का मौका मिला।
1.) महेंद्र सिंह धोनी
जब पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के करियर की बात करते हैं तो उसमें सौरव गांगुली द्वारा किए गए प्रयासों के लिए किसी भूमिका की आवश्यकता नही होती है। वास्तव में, धोनी ने दिसंबर 2004 में भारत के लिए डेब्यू किया था और 2005 की शुरुआत में उन्होंने टीम इंडिया में अपनी जगह बनाई थी।
महेंद्र सिंह धोनी एक पिंच हिटर के रूप में बेहतरीन कार्य कर सकते थे। लेकिन, गांगुली ने उन्हें टॉप ऑर्डर पर बल्लेबाजी करने के लिए भेजा। यहां तक कि उन्होंने धोनी के लिए अपना बैटिंग ऑर्डर बदलकर धोनी को नम्बर 3 पर बल्लेबाजी करने के लिए कहा। हालांकि, धोनी भी दादा की उम्मीदों पर खरे उतरे और उन्होंने टीम के लिए खूब रन बनाए। गांगुली के बाद ही धोनी को भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया था। और, धोनी ने भारतीय क्रिकेट को तीनों आईसीसी ट्रॉफी दिलाई है।
2.) वीरेंद्र सहवाग:
वनडे क्रिकेट में दोहरा शतक और टेस्ट क्रिकेट में तिहरा शतक जड़ने वाले वीरेंद्र सहवाग ने अपने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर में हजारों रन बनाए हैं। अपनी विस्फोटक बल्लेबाजी के बल पर भारत को कई मैच जिताने वाले वीरू ने बतौर ओपनर डेब्यू नही किया था।
वास्तव में, वीरेंद्र सहवाग ने अजय जडेजा की कप्तानी में अपना वनडे डेब्यू किया और नंबर 6 पर बल्लेबाजी करते थे।उन्होंने पहली बार साल 2002 में सौरव गांगुली की कप्तानी में इंग्लैंड दौरे पर ओपनिंग की थी। वहां से, उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और क्रिकेट के सबसे महान सलामी बल्लेबाजों में से एक बन गए।
3.) हरभजन सिंह:
हरभजन सिंह सबसे सफल भारतीय स्पिनरों में से एक रहे हैं। भज्जी ने 100 से अधिक टेस्ट मैच खेलते हुए 400 से अधिक टेस्ट विकेट हासिल किए। वह निश्चित रूप से अपने करियर का श्रेय गांगुली को ही देते हैं। क्योंकि, यह गांगुली ही थे जिन्होंने 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू श्रृंखला के लिए सिंह को चुनने के लिए चयनकर्ताओं को राजी किया था।
हरभजन ने बताया था कि, वह बेहद निराश हो चुके थे क्योंकि टीम और एनसीए ने भी उन्हें खारिज कर दिया था। जिसके बाद वह क्रिकेट छोड़कर कनाडा बसने की तैयारी में थे। लेकिन, सौरव गांगुली के बेदाग समर्थन के कारण, वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में फले-फूले। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2001 की घरेलू श्रृंखला में, वह टेस्ट क्रिकेट में हैट्रिक लेने वाले पहले भारतीय गेंदबाज भी बने। इसके अलावा, 2007 के टी 20 विश्वकप और 2011 के विश्वकप जीतने में भी भज्जी ने अहम भूमिका निभाई थी।
4.) युवराज सिंह:
युवराज सिंह केवल 18 वर्ष के थे जब उन्होंने अक्टूबर 2000 में भारत के लिए पदार्पण किया। सौरव गांगुली को निश्चित रूप से अपने करियर के निर्माण में एक भूमिका मिली है, क्योंकि उन्होंने अपने शुरुआती चरण में युवा प्लेयर्स पर बहुत विश्वास दिखाया था। युवी को गांगुली से बड़ा समर्थन मिला और उन्होंने अपने कप्तान को कभी निराश नहीं किया क्योंकि उन्होंने अपने करियर में कई यादगार प्रदर्शन किए।
टी 20 विश्वकप और 50 ओवर के विश्वकप में भारत की जीत में युवराज सिंह का योगदान कोई नही भूल सकता। बल्ले और गेंद दोनों से टीम इंडिया के लिए शानदार योगदान के कारण बी उन्हें भारत के अब तक के सबसे महान ऑलराउंडरों में से एक माना जाता है। लॉर्ड्स में 2002 के नेटवेस्ट फाइनल में अपने प्रदर्शन से लेकर 2011 विश्व कप में अपने अविश्वसनीय, अविस्मरणीय तक, युवराज ने भारतीय क्रिकेट के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है।
5.) अशोक डिंडा:
अशोक डिंडा को महान गेंदबाज नही माना जाता है, इसका बड़ा कारण यह है कि उन्होंने टीम इंडिया के लिए अधिक क्रिकेट नही खेला है। लेकिन, डिंडा में शानदार उछाल और स्विंग पैदा करने की क्षमता थी और एक तेज गेंदबाज के रूप में उनमें गजब का दमखम था।
अशोक डिंडा का अनोखा अंदाज कई अच्छे बल्लेबाजों को भी परेशान करता था। कुल मिलाकर, उन्होंने 420 प्रथम श्रेणी विकेट लिए। अशोक ने अपने राज्य के साथी (पश्चिम बंगाल) सौरव गांगुली को उनकी गेंदबाजी में मदद करने के लिए कई बार श्रेय दिया है। डिंडा ने यह भी कहा था कि, गेंदबाजी में उनकी कलाई की स्थितियों को सुधारने में भी गांगुली ने ही उनकी मदद की थी।
संक्षेप में कहें तो सौरव गांगुली न केवल एक महान बल्लेबाज थे बल्कि वह एक बड़े कप्तान और सच्चे खिलाड़ी भी थे।जिन्होंने भारतीय क्रिकेट को आगे ले जाने के लिए बहुत काम किया। क्रिकेट के प्रति जुनून ने ही उन्हें पश्चिम बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन से लेकर बीसीसीआई तक के अध्यक्ष पद में पहुंचा है।