भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कोच रवि शास्त्री ने खुलासा किया है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) में कुछ ऐसे लोग भी थे जो चाहते थे कि साल 2017 में मुझे यह दायित्व न मिले और मैं भारतीय टीम का कोच न बन पाऊं। रवि शास्त्री को साल 2017 में चैम्पियंस ट्रॉफी के बाद भारतीय टीम का कोच नियुक्त किया गया था।
गौरतलब है कि, भारतीय टीम के कोच के रूप में डंकन फ्लेचर के पद छोड़ने के बाद अनिल कुंबले को भारतीय टीम का मुख्य कोच बनाया गया था। हालांकि इस दौड़ में उस वक्त रवि शास्त्री भी शामिल थे। हालांकि, विराट कोहली से विवाद के बाद कुंबले ने साल 2017 में चैम्पियंस ट्रॉफी फाइनल के दो दिन बाद कोच पद से इस्तीफा दे दिया था।
अनिल कुंबले के मुख्य कोच के रूप में शामिल होने से पहले रवि शास्त्री 2014 से 2016 तक टीम इंडिया के निदेशक थे। यह एक निर्णय था जो प्रशासकों की समिति द्वारा लिया गया था, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने के लिए रखा था।
रवि शास्त्री ने टाइम ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में कहा है कि, ”मेरे दूसरे कार्यकाल के दौरान एक बड़ा विवाद खड़ा हुआ था। उस वक्त उन लोगों ने किसी और को चुना था, लेकिन 9 महीने बाद उन्हें दोबारा मेरे पास आना पड़ा यह उन लोगों के लिए भी यह शर्मिंदा होने जैसी बात थी जो उस वक्त मुझे नौकरी (कोच का पद) न मिले ऐसे प्रयास कर रहे थे।”
भारतीय टीम को पहली बार ऑस्ट्रेलिया में जीत दिलाने वाले पूर्व भारतीय कोच शास्त्री दे दुख जताते हुए कहा कि, ”जिस तरह मुझे हटाया गया उस बात का मुझे बेहद दुख है। मैंने बीसीसीआई के सिर्फ एक बार कहने पर बहुत योगदान दिया। मुझे हटाने के बेहतर रास्ते हो सकते थे। अगर ऐसा था तो मुझे कह सकते थे कि हम तुम्हें नहीं चाहते, तुम हमें पसंद नहीं हो और हम किसी अन्य को चाहते हैं। यदि ऐसा होता तो मैं वह काम करने वापस चला गया जो मैं बेस्ट करता था। जी, वही टेलीविजन।”
मेरी पुनर्नियुक्ति कुछ लोगों के चेहरे पर अंडे पड़ने की तरह: रवि शास्त्री
अपने इस इंटरव्यू में पुरानी बातों को याद करते हुए, शास्त्री ने कहा कि जब उन्हें 2017 में फिर से नियुक्त किया जा रहा था, तो बोर्ड का एक वर्ग उन्हें नहीं चाहता था क्योंकि वे वही लोग थे जिन्होंने उन्हें कुछ महीने पहले नौकरी से निकाल दिया था, लेकिन मेरी पुनर्नियुक्ति उनके चेहरे पर अंडे पड़ने जैसी थी।
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टीम इंडिया के पूर्व कोच शास्त्री ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि, मैंने अपने दूसरे कार्यकाल में कुछ नकारात्मक लोगों के साथ काम किया। क्योंकि, कुछ लोग जो बोर्ड में थे वे चाहते कि भारत विफल हो जाए जिससे मेरी और टीम मैनेजमेंट की आलोचना हो। शास्त्री ने यह भी कहा कि, इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ा क्योंकि उन्हें पता था कि वे सिर्फ असुरक्षित लोग हैं और उनकी असुरक्षा यदि कुछ किया जाना चाहिए तो वह यह कि अधिक से अधिक हंसा जा सकता है।