इंडियन प्रीमियर लीग 2022 का 34वां मैच शुक्रवार को दिल्ली कैपिटल्स और राजस्थान रॉयल्स के बीच खेला गया था। जहां, अंपायर्स के फैसले को लेकर विवाद हुआ और फिर अंपायरिंग को लेकर एक अलग ही बहस शुरू हो चुकी है। यह सभी जानते हैं कि, प्लेयर्स द्वारा अंपायर्स के फैसलों पर असहमति जताने के बाद उन्हें कुछ मैचों के लिए प्रतिबंधित किया जाता है यहां तक कि जुर्माना भी लगाया जाता है।
हालांकि, बहुत कम लोग यह जानते हैं कि जब अंपायर द्वारा निर्णय लिया जाता है तो क्या होता है। अब एक ट्विटर यूजर ने इस बारे में बात की है। आज के इस लेख में, हम एक ट्विटर यूजर द्वारा सामने लायी गयी जानकारी पर एक नजर डालते हैं जिन्होंने यह सामने लाया है कि, अंपायर के गलत निर्णय के बाद उनके साथ क्या होता है।
अंपायर्स के गलत निर्णय के बाद क्या होता है?
गौरतलब है कि, राजस्थान रॉयल्स और दिल्ली कैपिटल्स के बीच हुए मैच में दिल्ली के हार्ड हिटर रोवमैन पॉवेल मैच को दिल्ली के पक्ष में करने की जद्दोजहद में जुटे हुए थे। और, उन्होंने आख़िरी ओवर की तीन गेंदों में 3 छक्का भी जड़ दिया था। हालांकि, तीसरी गेंद लगभग वेस्ट-हाई-फुल-टॉस की तरह प्रतीत हो रही थी। लेकिन, ऑन-फील्ड अंपायर ने पहले इसे लीगल डिलिवरी माना और फिर इसकी जांच कराने के लिए थर्ड अंपायर को रेफर नहीं किया।
हालांकि, यह दिल्ली कैपिटल्स के कप्तान ऋषभ को नागवार गुजरा और उन्होंने इसका विरोध किया। जिसके बाद, ऋषभ पंत पर उनकी मैच फीस का 100% जुर्माना लगाया गया, जबकि प्रवीण आमरे को मैदान में प्रवेश करने के लिए एक मैच का बैन लगा दिया गया।
चूंकि, खिलाड़ियों और कोचों के लिए जुर्माना और बैन जैसे नियम हैं। ऐसे में एक ट्विटर यूजर ने एक थ्रेड लिखते हुए बताया है कि अंपायर द्वारा गलत निर्णय देने के बाद उन्हें क्या करना होता है।
With so much technology available today, I don’t think there will ever be an umpire who would make a wrong call on purpose. So, we shouldn’t be so much harsh on them. I am not trying to say that they shouldn’t be held accountable, but the treatment shouldn’t be too bad either.
Advertisement— Mohsin Kamal (@64MohsinKamal) April 23, 2022
एक सही संतुलन बनाने की जरूरत है
दरअसल, अंपायर्स द्वारा एक गलत निर्णय लेना आम बात है। हालांकि, क्रिकेट की बढ़ती प्रतिस्पर्धात्मकता को देखते हुए, नियम-निर्माताओं को टेक्नोलॉजी का उपयोग करने और ऑन-फील्ड अंपायर्स के निर्णयों के साथ आगे बढ़ने के बीच सही संतुलन बनाना होगा। साथ ही यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि इस खेल की गति प्रभावित न हो, यानी बार-बार रुकावट वाली समस्या न हो।
उल्लेखनीय है कि, ऋषभ पंत नो-बॉल विवाद के बाद इंटरनेट पर इस बारे में बहुत सारी बातें की जा रहीं हैं। लेकिन, यह सच्चाई है कि, कोई भी अंपायर जानबूझकर गलत निर्णय नहीं देता है। लेकिन, यदि बाकी फैसलों की ही तरह शेष फैसलों को भी टेक्नोलॉजी के दायरे में रखा जाए तो निश्चित तौर पर क्रिकेट और फैंस के लाभकारी सिद्ध होगा।