वो 5 भारतीय प्लेयर जिन्हें मजबूर होकर करना पड़ा संन्यास का ऐलान

भारत में नए-नए प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की संख्या बढ़ती जा रही है। जिस वजह से भारत के लिए खेलना हर साल कठिन होता जा रहा है। यही कारण है कि, केवल सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी ही लंबे समय तक क्रिकेट खेल पा रहे हैं। कई भारतीय क्रिकेटरों जैसे अंबाती रायुडू और अन्य ने फॉर्म की कमी, चोट या अन्य कारणों से खेल से जल्दी संन्यास ले लिया।
आज के इस लेख में, हम ऐसे ही पांच भारतीय क्रिकेटरों पर नजर डालेंगे, जिन्होंने समय से पहले संन्यास की घोषणा की।
5.) नरी कांट्रेक्टर:
कांट्रेक्टर एक बाएं हाथ के बल्लेबाज थे, जो अपने घरेलू पदार्पण से ही शानदार क्रिकेट का प्रदर्शन करते आये थे। उन्होंने 1955 में भारत के लिए पदार्पण किया और धीरे-धीरे अपने प्रदर्शन से रैंक में ऊपर उठे। कॉन्ट्रैक्टर ने हर गुजरते साल के साथ अपनी बल्लेबाजी में शानदार प्रदर्शन किया और जल्द ही भारत के सबसे युवा टेस्ट कप्तान बन गए।
साल 1962 में, वह अपने करियर के चरम पर थे जब चार्ली ग्रिफ़िथ के एक बाउंसर ने उन्हें गंभीर रूप से चोटिल कर दिया था। कांट्रेक्टर को जीवित रहने के लिए सर्जरी की आवश्यकता थी और वह भारतीय टीम में आगे कोई भूमिका नहीं निभा सकते थे। इसलिए कांट्रेक्टर ने जल्द ही संन्यास की घोषणा कर दी।
4.) सबा करीम:
सबा करीम को भारत के लिए एक टेस्ट मैच खेलने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा, लेकिन किसी ने नही सोच था कि उनका पहला टेस्ट मैच ही उनका आख़िरी मैच बन जायेगा। दरअसल, वह ढाका में बांग्लादेश के खिलाफ अपना पहला टेस्ट मैच खेलने उतरे और उसी मैच में एक दुर्घटना ने उनके क्रिकेट कैरियर में विराम लगा दिया।
वह कुंबले की गेंदबाजी में विकेटकीपिंग कर रहे थे उसी दौरान बॉल स्टंप में लगी जिससे गिल्ली उछल कर उनकी आंखों में लग गयी इस तरह चोट की वजह से उन्हें अपने क्रिकेट कैरियर से जल्दी संन्यास लेना पड़ा। सबा ने टेलीविजन में कमेंटेटर की भूमिका निभाई। सबा 2012 में, राष्ट्रीय टीम के चयनकर्ता बने और फिर 2021 तक बीसीसीआई के महाप्रबंधक के रूप में कार्य किया।
3.) प्रज्ञान ओझा:
ओझा ने 2009 में भारत के लिए पदार्पण किया और सबसे लंबे प्रारूप में रवि अश्विन के साथ एक घातक जोड़ी बनाई। उन्हें एक टेस्ट मैच विशेषज्ञ के रूप में माना जाता था और कई लोगों को लगता था कि उनके आगे एक लंबा खेल करियर है, लेकिन एक संदिग्ध कार्रवाई कि रिपोर्ट ने सब कुछ बदल दिया और ओझा कभी भी इस इन आरोपों से उबरने में कामयाब नहीं हुए।
2015 में, बीसीसीआई ने उनकी कार्रवाई को मंजूरी दे दी, लेकिन तब तक जडेजा टीम में आ चुके थे और वो बेहतरीन बोलिंग के साथ बल्लेबाज के रूप में भी टीम के लिए अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे जिस वजह से ओझा के लिए वापसी का रास्ता नहीं बचा था। दिलचस्प बात यह है कि सचिन तेंदुलकर का आखिरी टेस्ट ओझा की आखिरी अंतरराष्ट्रीय पारी भी थी और उन्हें उस टेस्ट में मैन ऑफ द मैच चुना गया था, इसके बावजूद ओझा को जल्दी संन्यास लेने के लिए मजबूर होना पड़ा और उनके लिए कोई उम्मीद नहीं बची।
2.) प्रवीण कुमार:
दुनिया के बेहतरीन स्विंग गेंदबाजों का नाम जब भी आएगा उनमे प्रवीण कुमार का नाम जरूर होगा, प्रवीण एक ऐसे गेंदबाज थे जिनके सामने कोई भी बल्लेबाज अपने विकेट को ज्यादा देर बचा नही सकता था। प्रवीण ने सपाट विकेट पर भी विकेट लेने का तरीका ढूंढ लिया था। उन्होंने भारत के लिए 6 टेस्ट खेले और 25 की औसत से 27 विकेट लिए।
हालांकि, उनके कैरियर में चोटों से उनका सामना कई बार हुआ जिस वजह से उनकी गेंदबाज़ी में निरंतर गिरावट आयी, और जल्द ही उनकी स्विंग ने बल्लेबाजों को परेशान करना बंद कर दिया। उन्होंने 2011 में अपना आखिरी टेस्ट खेला और 32 साल की उम्र में 2018 में संन्यास की घोषणा कर दी।
1.) रवि शास्त्री:
भारतीय टीम के पूर्व कोच रवि शास्त्री अपने समय में एक कमाल के ऑलराउंडर थे, लेकिन बार बार घुटने की चोट उनके प्रदर्शन में भारी गिरावट लायी। 1992 में अपने आखिरी टेस्ट से कुछ साल पहले, शास्त्री ने इंग्लैंड में दो शतकों के साथ खुद को टेस्ट में एक विश्वसनीय सलामी बल्लेबाज के रूप में स्थापित किया था।
1992 में 30 साल की उम्र में अपना आखिरी टेस्ट खेलने के बाद, शास्त्री ने कमेंटेटर की भूमिका निभाते हुए घरेलू क्रिकेट खेलना जारी रखा था पर उसके बाद उन्होंने जल्द ही संन्यास की घोषणा कर दी और 1994 में केवल 32 साल की उम्र में पूरी तरह कमेंटेटर बन गए और भारत के कोच बनने से पहले कमेंट्री बॉक्स में लगभग दो दशक बिताए थे। शास्त्री ने 80 टेस्ट खेले और 3000 से अधिक रन बनाए और 151 विकेट लिए।