किसी भी पेशेवर खिलाड़ी का अंतिम अंतरराष्ट्रीय मुकाबला उसके जीवन में काफी महत्व रखता है। यह वह मुकाबला होता है जिसके बाद खिलाड़ी सालों की तपस्या के बाद खेल को अलविदा कर देता है। इस लेख में हम देखेंगे 5 ऐसे भारतीय खिलाड़ियों को जिन्होंने अपने अंतिम एकदिवसीय मुकाबले में सर्वाधिक स्कोर बनाकर अपने अंतररराष्ट्रीय करियर का समापन किया।
1. अजय जडेजा 93(103) विरुद्ध पाकिस्तान, 5वां मुकाबला, एशिया कप, 3 जून 2000
अजय जडेजा एक बेहतरीन बल्लेबाज थे। दाहिने हाथ का यह बल्लेबाज अक्सर अपनी बल्लेबाजी से मुकाबले भारत के पक्ष में मोड़ देता था। इन्हें टीम के संकट में होने के बावजूद अक्सर मुस्कुराते हुए देखा जाता था। इनका अंतरराष्ट्रीय करियर वर्ष 2000 में इन पर लगे प्रतिबंध के कारण ज्यादा लंबा तो नहीं रहा मगर सीमित मौकों में इन्होंने अपनी छाप छोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
वह एक अव्वल दर्जे के क्षेत्ररक्षक भी थे। उन्होंने अपने अंतिम एकदिवसीय मुकाबले में सभी को दांतो तले उंगली दबाने पर मजबूर कर दिया। अपने अंतिम मुकाबले में कठिन परिस्थिति में अजय जडेजा नंबर 5 पर आए और 103 गेंदों पर 93 रन बनाए। बहरहाल, भारत इसके बावजूद मुकाबले को 44 रनों से हार गया मगर अजय जडेजा की वजह से भारत कुछ हद तक लक्ष्य के करीब पहुंच पाया।
2. गगन खोड़ा 89(129) विरुद्ध केन्या, कोका कोला त्रिकोणीय श्रृंखला, 20 मई, 1998
गगन खोड़ा भारत के सबसे बेहतरीन सलामी बल्लेबाजों में से एक रहे है। जूनियर स्तर पर दाहिने हाथ का यह प्रतिभाशाली सलामी बल्लेबाज काफी सफल रहा। अपने रणजी पदार्पण पर इन्होंने सैकड़ा जड़ा था। रणजी ट्रॉफी के क्वार्टरफाइनल में खेली गई 237 रनों की इनकी पारी ने काफी सुर्खियां बटोरी थी। ऐसा माना जाता है की इस प्रतिभाशाली खिलाड़ी को अपनी काबिलियत सिद्ध करने के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में क्षमता के अनुरूप मौके नहीं मिले।
इनके लघु करियर में इन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व सिर्फ 2 एकदिवसीय मुकाबला में किया जिसमें अपने दूसरे एवं अंतिम एकदिवसीय में इन्होंने केन्या के विरुद्ध 129 गेंदों में 89 रन की पारी खेली। इनकी महत्वपूर्ण पारी की बदौलत भारत ने सफलतापूर्वक लक्ष्य का पीछा करके जीत दर्ज करी। इस पारी के लिए खोड़ा को ‘मैन ऑफ द मैच’ का पुरस्कार भी मिला। खोड़ा ने बाद में निजी कारणों से क्रिकेट खेलना ही बंद कर दिया।
3. सैय्यद आबिद अली 70(98) विरुद्ध न्यूजीलैंड, 10वां मुकाबला, प्रूडेंशियल कप, 14 जून 1975
सैय्यद आबिद अली एक गजब के हरफनमौला खिलाड़ी थे। वह एक बेहतरीन क्षेत्ररक्षक होने के साथ एक मध्यम गति के तेज गेंदबाज और निचले क्रम के घातक बल्लेबाज भी थे। उन्होंने 1967-68 में अपने टेस्ट पदार्पण में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध 6/55 के आंकड़े दर्ज किए ,थे जो उनके सबसे यादगार प्रदर्शन में से एक है। इस श्रंखला के दौरान उन्होंने बल्ले से भी अपना जलवा दिखाया था। उनके खेलने की शैली सीमित ओवरों के अनुरूप थी मगर इसके बावजूद इन्होंने टेस्ट क्रिकेट में भी अपनी सफतापूर्वक अपनी चमक बिखेरी।
1975 के प्रूडेंशियल कप में इनके हरफनमौला प्रदर्शन की सबके द्वारा तारीफ की गई। इन्होंने न्यूजीलैंड के विरुद्ध नंबर 7 पर आकर 98 गेंदों में 70 रनों की पारी खेली और गेंद के साथ 2 विकेट भी झटके जिसके लिए इन्होंने 12 ओवर में महज 35 रन खर्च किये। दुर्भाग्यवश, यह मुकाबला उनका अंतिम एकदिवसीय मुकाबला साबित हुआ।
4. राहुल द्रविड़ 69(79) विरुद्ध इंग्लैंड, 5वां एकदिवसीय, भारत का इंग्लैंड दौरा, 16 सितंबर 2011
राहुल द्रविड़ संभवतः भारत के सबसे महान क्रिकेटरों में से एक है। वह पारंपरिक तकनीक से भारत की पारी की नींव रखने का काम करते थे। द्रविड़ को उनकी लंबी पारियों के लिए जाना जाता है। उन्होंने समूचे विश्व को क्रीज पर टिके रहने की अहमियत समझाई जो उनकी लगन और दृढ़ निश्चयता को दर्शाता है। एक बार उन्होंने 12 घंटे और 20 मिनट बल्लेबाजी कर 495 गेंदों में 270 रनों की अदभुत पारी खेली थी जिसकी मदद से भारत ने वह मुकाबला पारी और 131 रनों से जीता था।
उन्होंने इस प्रकार की अनूठी पारियां कई बार खेली है जिसका भारतीय क्रिकेट को काफी लाभ मिला। द्रविड़ को अक्सर टेस्ट विशेषज्ञ के तौर पर याद किया जाता है मगर एकदिवसीय क्रिकेट में भी इनके नाम 10889 रन है और वह भारत के सर्वकालिक उच्चतम रन वाले बल्लेबाजों की सूची में चौथे स्थान पर हैं (सिर्फ सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली, सौरव गांगुली से पीछे)। उन्होंने अपने अंतिम एकदिवसीय में 79 गेंदों में 69 रन बनाए थे इंग्लैंड के विरुद्ध। इसके बावजूद इस वर्षा बाधित मुकाबले में भारत को इंग्लैंड द्वारा 6 विकेट से शिकस्त मिली थी।
5. सुरिंदर अमरनाथ 62(75), तीसरा एकदिवसीय, भारत का पाकिस्तान दौरा, 3 नवंबर 1978
यह बाएं हाथ के एक आक्रामक बल्लेबाज थे। यह पूर्व भारतीय कप्तान लाला अमरनाथ की संतान थे। इन्हें छोटी उम्र से ही क्रिकेट की प्रतिभा का धनी कहा गया जब इन्होंने अपना रणजी पदार्पण सिर्फ 15 की उम्र में किया। सुरिंदर ने श्रीलंका के विरुद्ध एक अनाधिकारिक टेस्ट खेला था। इस मुकाबले में इन्होंने एक शानदार शतक जड़ा था। अपने टेस्ट पदार्पण में भी इन्होंने न्यूजीलैंड के विरुद्ध एक अविस्मरणीय सैकड़ा जड़ा था।
इंग्लैंड के विरुद्ध हुई श्रंखला में इन्होंने दो अर्धशतक जड़कर अच्छा प्रदर्शन दिया था मगर इसके बावजूद उन्हें इसके बाद भारतीय टीम में शामिल नहीं किया गया। सुरिंदर ने भारत के लिए 10 टेस्ट और 3 एकदिवसीय खेले। अपने प्रथम श्रेणी करियर में भी उन्होंने 8175 रन जड़े। अपने अंतिम एकदिवसीय में सुरिंदर ने पाकिस्तान के विरुद्ध 75 गेंदों में 62 रन बनाए।