क्रिकेट खेलने वाले प्रत्येक देश के लिए विश्वकप जीतना सबसे बड़ी उपलब्धि है। इसी प्रकार विश्वकप में खेलना भी प्रत्येक क्रिकेटर के लिए एक ऐसी उपलब्धि होती है जिसमें वह हर हाल में शामिल होना चाहता है। विश्वकप खेलना और ट्रॉफी जीतना प्रत्येक क्रिकेटर के लिए किसी बड़े सपने के सच होने जैसा होता है।
हालांकि विश्वकप की एक टीम में अधिक 15 खिलाड़ियों को शामिल किया जा सकता है। जिनमें से 11 खिलाड़ी प्लेइंग इलेवन का हिस्सा होते हैं। हालांकि, ऐसे कई बड़े खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपने क्रिकेट करियर में कई उपलब्धियां हासिल कीं। लेकिन, विश्वकप में नही खेल सके।
आज हम ऐसे ही क्रिकेटरों की प्लेइंग इलेवन पर बात कर रहे हैं जिन्होंने कभी विश्वकप नही खेला है।
सलामी बल्लेबाज: एलिस्टेयर कुक और जस्टिन लैंगर
हालाँकि अब टेस्ट क्रिकेट और छोटे प्रारूपों के बीच एक स्पष्ट अंतर है। किन्तु कुछ वर्षों पहले इस पर बहस बहुत कम थी। लैंगर और कुक अपने समय के शानदार बल्लेबाज हैं। ये दोनों ही बाएं हाथ के सलामी बल्लेबाजों के रूप में अपनी टीमों में मौजूद थे।
कुक और लैंगर लंबे फॉर्मेट के विशेषज्ञ थे। दोनों क्रिकेटर ने अपने करियर को उस मुकाम तक पहुंचाया जहाँ बहुत कम खिलाड़ी पहुंच पाए। कुक और लैंगर अपने-अपने देशों के लिए लीजेंड हैं। लेकिन, दुर्भाग्य से ये दोनों प्लेयर कभी भी विश्वकप में नहीं खेल सके। इसलिए, ये दोनों महान बल्लेबाज सलामी बल्लेबाज के रूप में इस प्लेइंग इलेवन का हिस्सा होंगे।
मध्य क्रम: चेतेश्वर पुजारा, वीवीएस लक्ष्मण, अजहर अली और पार्थिव पटेल (विकेटकीपर)
इस मध्य क्रम में तीन भारतीय और एक पाकिस्तानी बल्लेबाज शामिल है। नंबर 3 पर हमारे पास चेतेश्वर पुजारा हैं। सौराष्ट्र के इस खिलाड़ी को पांच दिवसीय प्रारूप तक ही सीमित रखा गया है। इसलिए, वह विश्वकप में नहीं खेल सके हैं।
हैरानी की बात यह है कि वीवीएस लक्ष्मण जैसा स्थापित क्रिकेटर भी विश्वकप में नहीं खेला है। उनका एकदिवसीय करियर छोटा था शायद इसीलिए वह विश्वकप में जगह नही बना पाए। इस प्लेइंग इलेवन पर नम्बर 4 में वीवीएस लक्ष्मण एक शानदार बल्लेबाज होंगे।
पाकिस्तान के पूर्व कप्तान अजहर लंबे समय तक पाकिस्तान के लिए खेलते रहे हैं। लेकिन, उनके फॉर्म ने उन्हें विश्वकप की राह में आगे नही बढ़ने दिया। यही हाल पार्थिव पटेल का भी रहा है, उनके फॉर्म ने उन्हें भारतीय टीम का कभी नियमित हिस्सा नही बनने दिया।
हालांकि पार्थिव पटेल 2003 विश्वकप टीम का हिस्सा थे, लेकिन किसी भी मैच में उन्हें प्लेइंग इलेवन में शामिल नही किया गया। उनके स्थान पर, राहुल द्रविड़ बतौर विकेटकीपर नजर आए थे।
तेज गेंदबाज : इशांत शर्मा, क्रिस मार्टिन और मैथ्यू होगार्ड
इशांत शर्मा भारतीय टीम के लिए एक अच्छे टेस्ट मैच गेंदबाज हैं। हालांकि, वनडे व टी-20 क्रिकेट में उनका फॉर्म बेहद अच्छा नही रहा। ईशांत का वनडे क्रिकेट में जो मौके मिले उन्हें भुनाने में वे कामयाब नही रहे। इसलिए उन्हें विश्वकप टीम में नही चुना गया।
क्रिस मार्टिन, न्यूजीलैंड क्रिकेट के इतिहास के सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाजों में से एक हैं। ईशांत की तरह, क्रिस मार्टिन भी टेस्ट क्रिकेट के एक घातक गेंदबाज थे। लेकिन एकदिवसीय मैचों में उन्होनें ने भी अच्छा प्रदर्शन नही किया। जिस कारण विश्वकप में उन्हें नही चुना गया। मैथ्यू होगार्ड, इंग्लैंड के घातक गेंदबाजों में से एक थे। लेकिन वे लगातार चोटिल होते रहते थे। जिस कारण अच्छी गेंदबाजी के बाद भी उन्हें विश्वकप में खेलने का मौका नही मिल सका।
स्पिनर: स्टुअर्ट मैकगिल और ई प्रसन्ना
ऑस्ट्रेलिया के लिए टेस्ट मैचों में स्टुअर्ट मैकगिल का ने शानदार गेंदबाजी की थी। पारंपरिक लेग स्पिनर, स्टुअर्ट मैकगिल ने ऑस्ट्रेलियाई टीम में शेन वॉर्न के साथ भी स्पिन गेंदबाजी का प्रभार सम्हाला हुआ था। टेस्ट क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करने वाले मैकगिल को वनडे क्रिकेट में भरपूर मौके दिए गए। लेकिन वे कुछ खास नही कर सके। इसलिए बेहतरीन गेंदबाज होने के बाद भी वे विश्वकप नही खेल सके।
ई प्रसन्ना भारत के सबसे बेहतरीन ऑफ स्पिनर में से एक हैं।भारत की ओर से खेलते हुए 49 टेस्ट मैचों में 189 विकेट लेने वाले एरापल्ली अनंतराव श्रीनिवास प्रसन्ना (ई प्रसन्ना) जिस दौर में खेल रहे थे वह विश्वकप खेले जाने का दौर नही था। यहाँ तक कि उस दौरान वनडे क्रिकेट में प्रचलित नही था। इसलिए एक शानदार गेंदबाज विश्वकप खेलने से वंचित रह गया।
विश्वकप में नही खेल पाने दिग्गज खिलाड़ियों की सबसे शानदार प्लेइंग इलेवन इस प्रकार होगी: एलिस्टेयर कुक, जस्टिन लैंगर, चेतेश्वर पुजारा, वीवीएस लक्ष्मण, अजहर अली, पार्थिव पटेल (विकेटकीपर), इशांत शर्मा, क्रिस मार्टिन और मैथ्यू होगार्ड, स्टुअर्ट मैकगिल और ई प्रसन्ना