शिवनारायण चंद्रपॉल अपनी आंखों के नीचे डार्क स्टीकर का इस्तेमाल क्यों करते थे
शिवनारायण चंद्रपॉल वेस्टइंडीज के महानतम खिलाड़ियों में से एक हैं। वह हमेशा ही अपने शानदार बल्लेबाजी के साथ-साथ सबसे अलग बल्लेबाजी स्टांस की वजह से चर्चा का विषय बने रहे। चंद्रपॉल का जन्म 16 अगस्त 1974 में यूनिटी गांव, गुयाना में हुआ था। बहुत कम ही प्रसंशको को पता होगा कि चंद्रपॉल भारतीय मूल के हैं। यानी कि उनके पूर्वज भारत से जाकर गुयाना में बस गए थे। चंद्रपाल के पुरखों में सबसे पहले पवन कुमार चंद्रपाल बिहार के पूर्णिया से 1873 में गुयाना चले गए थे।
चंद्रपाल ने अपने शानदार करियर के दौरान वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम, डर्बीशायर, डरहम, गुयाना, गुयाना अमेज़ॅन वॉरियर्स, खुलना रॉयल बेंगल्स, लंकाशायर, स्टैनफोर्ड सुपरस्टार्स, यूवा नेक्स्ट, वार्विकशायर, वारविकशायर 2 इलेवन और आईपीएल फ्रैंचाइज़ी रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर का प्रतिनिधित्व किया है। चंद्रपॉल ने 17 मार्च 1994 को इंग्लैंड के खिलाफ अपना डेब्यू किया था और 2015 में अपना आखिरी टेस्ट भी इंग्लैंड के खिलाफ ही खेला।
चंद्रपॉल ने वेस्टइंडीज के लिए 164 टेस्ट खेले, जिसमें 51.37 की शानदार औसत से 11,867 रन बनाए। उन्होंने 268 वनडे मैचों में 41.60 की औसत से 8,778 रन बनाए। वहीं खेल के सबसे छोटे प्रारूप में उन्होंने 22 पारियों में 343 रन बनाए। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उनका सर्वाधिक स्कोर नाबाद 203* रन है। उनके नाम टेस्ट क्रिकेट में 30 शतक और 66 अर्धशतक भी हैं। उन्होंने 2016 में क्रिकेट को अलविदा कहा था।
शिवनारायण चंद्रपॉल आँखों के नीचे डार्क स्टीकर का इस्तेमाल क्यों करते थे
चंद्रपॉल बाकी बल्लेबाजों से काफी अलग थे। बचपन में हम सब ने ध्यान दिया होगा कि उनका बल्लेबाजी स्टांस बाकियों से बहुत अलग था, साथ ही वह आंखों के नीचे डार्क स्टिकर्स लगाते थे। दरअसल चंद्रपॉल ये काले रंग का स्टिकर इसलिए लगाते थे ताकि आंखों पर सीधे सूर्य की किरणें न पड़े। इसे एंटी-ग्लेयर स्टिकर कहते हैं, जो धूप में खेलते हुए आंखों पर पड़ने वाली धूप की किरणों को कम कर देती हैं। एक तरह से यह उनके लिए सनग्लासेस का काम करता था। उन स्टिकर की मदद से, शिवनारायण धूप की किरणों से ज्यादा प्रभावित हुए बिना बल्लेबाजी और क्षेत्ररक्षण करने में सक्षम थे।
शिवनारायण चंद्रपॉल जब बल्लेबाजी करते थे तो विपक्षी गेंदबाजों के लिए उन्हें आउट कर पाना आसान नहीं होता था। उन्होंने अपने टेस्ट करियर में 280 पारियों में 27,000 से भी अधिक गेंदों का सामना किया। भारत के खिलाफ भी उनका प्रदर्शन शानदार रहा है। उन्होंने भारत के खिलाफ 25 टेस्ट मैच खेले, जिसमें 63.85 की औसत से 2171 रन बनाए।