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5 भारतीय क्रिकेटर जिन्होंने मैदान पर बहांए आंसू

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क्रिकेट एक ऐसा खेल है जो हर मायने में भावनाओं को छूता है। कई खिलाड़ियों ने मैदान पर अपनी भावनाओं को खुल कर व्यक्त किया है । और यह सब क्रिकेट के इस खेल के लिए खिलाड़ियों के जुनून और प्यार को दर्शाता है। कई भारतीय क्रिकेटरों ने भी कई अलग-अलग कारणों से आंसू बहाए हैं – दुख से लेकर खुशी तक।

यहां हम उन पांच ऐसे भारतीय क्रिकेटरों के बारे में देखेंगे जिन्हें अपने करियर के दौरान किसी समय मैदान पर आंसू बहाए गए थे।

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मोहम्मद सिराज

मोहम्मद सिराज के लिए जिंदगी काफी उतार चढ़ाव भड़ी रही है। शुरुआत से हैदराबाद के इस तेज गेंदबाज ने अपने छोटे अंतरराष्ट्रीय करियर में विशेष रूप से टेस्ट क्रिकेट में महान ऊंचाइयों को छुआ है। टी20 में सिराज ने राजकोट में साल 2017 में न्यूजीलैंड के खिलाफ तीन मैचों की सीरीज के दूसरे मैच में अपना डेब्यू किया था। जैसे ही राष्ट्रगान के लिए टीमें लाइन में लगीं भावुक सिराज अपने आप को रोक नहीं पाए और जीवन भर के सपने के सच होने के साथ आंसू बहाए।

इसके बाद साल 2020 में मेलबर्न में बॉक्सिंग डे टेस्ट के दौरान सिराज ने टेस्ट में डेब्यू किया और फिर उन्होंने अपनी खुशी और भावनाओं के आंसू निकाले।

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विनोद कांबली

भारत और श्रीलंका के बीच 1996 क्रिकेट विश्व कप सेमीफाइनल कोलकाता के ईडन गार्डन में एक दु:खद नोट पर समाप्त हुआ। एक ऐसी स्थिति से जहां भारतीय टीम का रनों का पीछा करने में मजबूत स्थिति थी लेकिन भारतीय बल्लेबाजों को लगातार आउट होते देख दर्शक बेकाबू हो गए।

दर्शकों ने एक स्टैंड में आग लगा दी, जिससे खेल रुक गई। मैच में अंततः श्रीलंका को जीत दे दिया गया था। उस मैच में भारत 120/8 पर था और इस स्थिति से उनकी जीत मुश्किल लग रही थी। आज भी विनोद कांबली की आंसुओं में पिच से बाहर निकलते हुए वह फोटो भारतीय क्रिकेट प्रशंसक का दिल दुखाता है। एक शनादार अभियान का दुखद अंत और आसपास की अनियंत्रित परिस्थितियों का मतलब था कि मुंबई के इस बल्लेबाज को आंसू बहाने से नहीं रोक सका।

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एस. श्रीसंत

आईपीएल 2008 का स्लैपगेट विवाद उन शुरुआती विवादों में से एक था जो इस लीग का गवाह बना। मोहाली में किंग्स इलेवन पंजाब (अब पंजाब किंग्स) और मुंबई इंडियंस (एमआई) के बीच एक मैच के बाद, एमआई के कप्तान हरभजन सिंह ने किंग्स के सीमर एस श्रीसंत को थप्पड़ मारकर सुर्खियों में छा गए।

श्रीसंत हैरान रह गए और रो पड़े जबकि उसके और हरभजन ने जल्द ही समझौता कर लिया। इसका हरभजन सिंह को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा, उन्हें बाकी सीज़न से प्रतिबंध लगा दिया गया।

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हरभजन सिंह

2 अप्रैल 2011 इस दिन भारत ने 28 साल के लंबे इंतजार के बाद वनडे क्रिकेट विश्व कप जीता। एक अरब से अधिक भारतीयों ने शानदार अनुभव किया और साथ ही उन्होंने खुशी के आंसू भी बहाए। खुद खिलाड़ियों ने भी अपनी भावनाओं को आंसू बहा कर व्याक्त किया। ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह को खुशी और उत्साह के साथ रोते हुए देखा गया। उन्होंने उस रात अपने बाकी साथियों के साथ वानखेड़े स्टेडियम में इस पल का जश्न मनाया।

हरभजन 2011 क्रिकेट विश्व कप के दौरान भारत के प्रमुख स्पिनर थे। उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल में शानदार गेंदाबजी की थी। उन्होंने उमर अकमल और शाहिद अफरीदी दोनों को आउट करके फाइनल में भारत की राह तय की थी।

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युवराज सिंह

एक बार फिर खुशी के आंसू और इस बार हम बात कर रहे हैं युवराज सिंह की। इस भारतीय ऑलराउंडर ने 2011 क्रिकेट विश्व कप के दौरान अपने जीवन का सबसे शानदार प्रदर्शन किया था। उस दौरान युवराज एक जानलेवा बीमारी से जूझ रहे थे। फेफड़ों में ट्यूमर होने के बावजूद उन्होंने उस विश्व कप के दौरान जिस तरह का प्रदर्शन किया था यह उनकी वीरता और दृढ़ संकल्प को बयां करता है जिसे शब्दों में नहीं मापा जा सकता है।

उन सभी प्रयासों के बाद जब उन्होंने विश्व कप को उठाया तो स्वाभाविक रूप से युवराज सिंह के आंसू निकल गए। उन्हें 362 रन और 15 विकेट के ऑलराउंड प्रदर्शन के लिए प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट घोषित किया गया था।

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