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इन 5 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों ने आर्थिक संकट के कारण अपनाय दूसरा पेशा

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क्रिकेट खेलने वाली देशों की क्रिकेट बोर्ड भारत, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया की क्रिकेट बोर्ड जितनी अमीर नहीं है। खासकर खिलाड़ी अगर इन तीन देशों की टीम से नहीं खेले हैं और आईपीएल में भी वह नहीं खेल पाए हैं तब उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रही है। उन्हें क्रिकेट से रिटायर होने के बाद भी दूसरे पेशों को अपनाना पड़ा है ताकि वह अपने परिवार का अच्छे से देख भाल कर सके।

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क्रिकेट खेल कर कई खिलाड़ियों ने अंधाधून पैसा कमाया और फिर बिना सोचे समझे उसे खर्च भी किया। जिसके परिणामस्वरूप उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई। ऐसे में इस आर्टिकल में हम उन पांच खिलाड़ियों के बारे में जानेंगे जो एक समय काफी अमीर हुआ करते थे लेकिन बाद में उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई और दूसरा पेशा अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

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क्रिस केर्न्स

न्यूजीलैंड के बेहतरीन ऑलराउंडर क्रिस केर्न्स ने साल 1989 और 2006 के बीच 62 टेस्ट और 215 एकदिवसीय मैचों में अपने देश का प्रतिनिधित्व किया और उच्चतम स्तर पर लंबे समय तक क्रिकेट खेलकर अच्छी कमाई की। बता दें कि हाल ही में उन्हें आंत्र कैंसर से जूझना पड़ा था।

हालांकि, रिटायरमेंट के बाद केर्न्स के जीवन उथल-पुथल में आ गया, उन्हें साल 2013 में मैच फिक्सिंग के आरोपों का सामना करना पड़ा। हालांकि बाद में उन्हें गैर-दोषी पाया गया। लेकिन कानूनी कार्यवाही की लागत के चलते केर्न्स की बैंक बैलेंस खाली हो गई। जिसके बाद वह आर्थिक रूप से काफी कमजोर हो गए जिसके बाद उन्हें घर परिवार चलाने के लिए ऑकलैंड में साफ सफाई जैसे काम करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

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अरशद खान

पूर्व ऑफ स्पिनर अरशद खान ने साल 1998 से 2006 तक पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने 9 टेस्ट और 58 एकदिवसीय मैचों में सचिन तेंदुलकर जैसे महान बल्लेबाज को आउट कर कुल 88 विकेट झटके। हालांकि अच्छे करियर के बीच उन्होंने एक खारब  निर्णय लिया जिसके चलते उनका अंतरराष्ट्रीय करियर बर्बाद हो गया। दरअसल, उन्होंने जल्दी और ज्यादा पैसा कमाने की तलाश में साल 2008 में गैर-स्वीकृत इंडियन क्रिकेट लीग के साथ एक समझौता किया जिसके बाद पाकिस्तान के साथ उनका अंतरराष्ट्रीय करियर समाप्त हो गया।

जिसके बाद अर्शद के ऊपर आर्थिक संकट आ गई जिससे पार पाने के लिए उन्होंने सिडनी में टैक्सी ड्राइवर के रूप में काम किया। साल 2020 में पीसीबी ने उन्हें क्रिकेट में एक नया जीवन दिया महिला टीम की स्पिन गेंदबाजी कोच के रूप नियुक्त किया।

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एडम हॉलिओके

इंग्लैंड के पूर्व ऑलराउंडर एडम होलियोके ने साल 1996 और 1999 के बीच 4 टेस्ट और 35 एकदिवसीय मैचों में अपना योगदान दिया था। उन्होंने आखिरी बार साल 2007 में एक उच्च-स्तरीय पेशेवर मैच खेला और फिर ऑस्ट्रेलिया में अपने पारिवारिक व्यवसाय को आगे बढ़ाया। लेकिन साल 2008 की वैश्विक मंदी ने उन्हें दुनिया के लाखों अन्य लोगों के साथ डुबो दिया। उनकी कंपनी की वित्तीय स्थिति कमजोर हुई, उनकी कंपनी, हॉलिओके ग्रुप साल 2010 में बंद हो गई और साल 2011 तक उन्होंने अपनी कंपनी का दिवालिया घोषित कर दिया।

बाद में हॉलिओके ने मिक्स्ड मार्शल आर्ट फाइटर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की और साल 2012 में रिंग में डेब्यू किया। फिर उन्होंने क्रिकेट में एक कोच के रूप में वापसी की और साल 2018 में अफगानिस्तान के कोच के रूप में इंग्लैंड लायंस के लिए एक कोचिंग भूमिका निभाई।

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जनार्दन नवले

जनार्दन नेवले भारत के पहले टेस्ट विकेटकीपर हैं जिन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ 1932 के टेस्ट मैच में भारत की पहली टेस्ट पारी की ऐतिहासिक पहली गेंद का सामना किया था। नेवल ने हालांकि केवल एक और टेस्ट खेला। जैसा कि क्रिकेटटाइम्स डॉट कॉम द्वारा रिपोर्ट किया गया नेवले ने अपने अंतिम दिन एक भिखारी के रूप में बिताए और पुणे में एक चीनी मिल में एक चौकीदार जैसे अन्य काम भी किए, जहाँ उन्होंने अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष करना पड़ा।

मैथ्यू सिंक्लेयर

न्यूजीलैंड के पूर्व बल्लेबाज मैथ्यू सिंक्लेयर ने अपने पहले 12 टेस्ट मैचों में दो दोहरे शतकों के साथ अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की लेकिन दुख की बात है कि उसके बाद उनके करियर में गिरावट आई। उन्होंने 33 टेस्ट में 32 के औसत के साथ उन दो दोहरे शतकों के बाद सिर्फ एक और शतक के साथ अपने करियर को समाप्त किया। साल 2010 में अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने के बाद सिनक्लेयर ने 2013 में खेल से संन्यास ले लिया। रिटारमेंट के बाद, वह कुछ समय के लिए बेरोजगार रहे और चूंकि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने से पहले अपनी शिक्षा पूरी नहीं की थी इसलिए उनके लिए रोजगार मिलना मुश्किल था। उसके बाद उन्होंने स्पोर्ट्स उपकरणों की दुकान खोली लेकिन वह 8 महीने में ही बंद हो गई और अब वह नेपियर में एक रियल एस्टेट विक्रेता के रूप में काम कर रहे हैं।

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